Uttarakhand ke Das Parivar ke Logo ne Apane Viran Ganv ko Abad fir se Abad kar ke Atmanirabharata ka udaaharan diyaa| Hindi mei|
many villagers of Uttarakhand started animal farming of goats. |
उत्तराखंड के उदखंडा गाँव के विकास
और आत्मनिर्भरता की प्रेरक कहानी।
उत्तराखंड राज्य के चिपको और बीज बचाओ आंदोलन के लिए प्रख्यात टिहरी गढ़वाल जिला मे बसा हुआ उदखंडा गाँव ऊंचे पहाड़ो से घिरा हुआ है। इस गाँव के लोगो ने आत्मनिर्भरता का एक नायाब द्रष्टांत प्रस्तुत किया है। उत्तराखंड के अन्य गाँव वासियो को इसका अनुकरण करना चाहिए। सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं समग्र भारत देश के ऐसे गाँव जो वीरान होते चले जा रहे है उनके लिए भी यह एक अनुकरणीय द्रष्टांत है। कुछ वर्ष पहले उदखंडा गाँव मे करीब 140 परिवार बसे हुए थे। लेकिन बंजर जमीन के कारण यह गाँव धीरे धीरे खाली होता गया । सिर्फ 10 परिवार ही गाँव मे अकेले रह गये जो किसी भी हाल में अपना गाँव छोड़ना नही चाहते थे। इन परिवार के लोगो ने हामी भर कर फिर से गाँव को आबाद करने का फैसला किया।
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एक सहकारी मण्डल बनाय
गाँव के मुखियाँ विनोद कोठियाल के मार्गदर्शन से गाँव वालो ने पांच लाख का चंदा इकट्ठा कर के एक सहकारी मण्डल बनाया जिसका नाम रखा: 'हेवल घाटी कृषि विकास स्वायत्त सहकारी समूह'
Udkhanda village of Uttarakhand state is surrounded by high mountains. |
कोठियाल परिवार के सदस्यो की सेवा और मार्गदर्शन
गाँव के मुखी है विनोद कोठियाल और अन्य कोठियाल परिवार से एक निवृत सिंचाई अधिकारी बी आर कोठियाल है। दूसरे निवृत पुलिस अधिकारी हृषिरम कोठियाल है। यह लोग भी अपनी सेवा का लाभ यह संस्था को दे रहे है। ऋतमणि कोठियाल बकरा पालन के फार्म की देखभाल करते है। उदखंडा गाँव ने इस समस्या का एक सटीक उपाय सुझाया है। आजकल गाँव खाली होते जा रहे है, लोग कृषि और पशुपालन से दूर होते जा रहे है और शहरो मे धारावी जैसी बस्ती मे रहने के लिए मजबुर होते जा रहे है। यह समस्या न सिर्फ उत्तराखंड की किन्तु भारत देश के सभी गाँव की है। उदखंडा गाँव ने इस समस्या का एक सटीक उपाय सुझाया है।
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